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Sunday 30 December 2012

वो चेहरा...


अजनबी शहर की बदहवास भीड़ के बीच
चेहरा   एक   नूरानी   अपना   सा   लगा,
गौर से  देखा  जो राहत  की  ख़्वाहिश  में 
तो पाया दरअसल औरों से वो जुदा था।

This post is gratefully dedicated to my friend C. Suresh who lovingly demanded for some of my lines! Thank you Suresh:)

Friday 14 December 2012

Baywatch-11





Ferar Beach Ross IslandAndaman SeaBay of BengalIndian Ocean
                                          Linked to: NF Waters#55

This post is dedicated to my blogger friend Jay, who wished to watch some beach beauties here!
Thank you Jay:) for your expectations...hope I come up to them:)
This is a virgin beach, not even a tourist comes to this obscure place.
This beauty may not be 36-24-36, but it is 360 degrees view/24 degree C temp/3600 awesome trees:):D 

Wednesday 12 December 2012

Baywatch-9





        Ruins at Ross IslandAndaman SeaBay of BengalIndian Ocean
This post is dedicated to blogger friend Kirti who wanted to see some ruins here!
Thank you Kirti for your demand:)

Friday 7 December 2012

Baywatch-3

Cellular JailPort Blair, Andaman SeaBay of BengalIndian Ocean
                         Linked to Weekendinblackandwhite

शरारा...

आसमाँ पे चमकता वो शरारा 
जवाँ  दिखता  है,
उसके सीने में दबी  राख  का 
भला इल्म किसे है?


This post is dedicated to my blogger friend Anulata Raj Nair, whose comment inspired me to write it.
Thank you Anu!


Thursday 6 December 2012

Baywatch-2

               Port Blair, Andaman SeaBay of BengalIndian Ocean
                                           Linked to Skywatch

Baywatch-1

Coral Reefs, Jolly Buoy Island, Andaman Sea, Bay of Bengal, Indian Ocean
                                Linked to Nature Notes / NF Waters 49



                                            ...going for snorkeling

Friday 23 November 2012

Monochrome:Grand old building

                    Linked to The Weekend in Black and White here

सदमा...


कहाँ गए वो पल जो बेताबी से 
हमने साथ बिताए थे,
अब तो बस मायूसियों के 
लम्बाते हुए साए हैं।

सब काट ही लेते हैं दिन
शाम की उम्मीदों में,
हमारे हिस्से तो रातों को भी 
बस सिर्फ़ फ़ाके आये हैं।

रोज़ नया ग़म देती है 
तोहफ़े  में ज़िन्दगी,
अभी तो हम पुराने 
सदमों से उबर पाए हैं।  

Monday 19 November 2012

रेलगाड़ी


एक ट्रेन हूँ मैं,
बस चलती जाती .
स्टेशनों पे रूकती,
जंगल में खड़ी होती,
कभी रोक दी जाती .

या, एक स्टेशन हूँ मैं,
अपनी जगह स्थिर .
देखता रहता आती-जाती गाड़ियाँ,
मर्द-औरत, काले-गोरे, अमीर - ग़रीब,
बेशुमार मुसाफ़िर .

नहीं, चाय -कॉफ़ी वैंडर हूँ मैं,
पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण 
गर्मी - सर्दी - बरसात 
यहाँ से वहाँ, वहाँ से यहाँ:
अनवरत, अन्तहीन !!


इसके साथ ये भी पढ़िए :  पटरियाँ 







Friday 16 November 2012

पटरियाँ

हम सब रेल की पटरियाँ:
दौड़ते समानान्तर 
मीलों - मील ज़िन्दगी भर ;

मिलते  हैं बस कुछ पल 
फिर से बिछुड़ जाने को 
हमेशा के लिए !


इसके साथ ये भी पढ़िए :  रेलगाड़ी 

Tuesday 13 November 2012

सुबह-2



किसी परिपक्व, सुशीला,
प्रेमिल, मजबूर माँ की तरह 
एक खीज भरी, फीकी,
सतही, निस्तेज मुस्कराहट के साथ,
जिसमें साफ़ झलकती है 
उसकी असहमति, विरोध और पीड़ा,
प्रकृति देती है 
ताज़ी हवा के कुछ झोंके 
जंगलों, पहाड़ों, खेतोँ और बाग़ानों से 
कहते हुए जैसे 
कि माफ़ तो कर नहीं सकती 
साफ़ दिल से 
जघन्य पापों को हमारे;
पर  मरने भी नहीं दे सकती 
आतंकी, आततायी, अपराधी 
बेटों को अपने!


प्रसंग: इस कविता की गहनता अनुभव कीजिये   सुबह-1  के साथ 
   


सुबह-1



रात भर के शोरीले  ताण्डव 
के परिप्रेक्ष्य में और भी वीरान लगती है 
दीवाली से अगले दिन की सुबह।

धुएँ  और कुहासे की 
मोटी चादर ओढ़े 
ख़ामोश, लाचार  देखती 
जैसे बीत गए 
बलात्कार के निशान।

बेशुमार आतिशबाज़ी से पैदा 
बेहिसाब चिन्दियाँ कागज़ की 
राख, डंडियाँ, खोल, रैपर्स, प्लास्टिक 
चारों ओर बर्बादी का मंजर :
बेख़बर सोये बेशर्म, उद्दण्ड व्यभिचारी !

प्रसंग : इस कविता का मर्म देखिये   सुबह-2   के साथ