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Sunday, 30 December 2012
वो चेहरा...
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Friday, 28 December 2012
Sunday, 16 December 2012
Baywatch-10
Ruins of a church at Ross Island, Andaman Sea, Bay of Bengal, Indian Ocean
Linked to: Blackandwhiteweekend
Friday, 14 December 2012
Baywatch-11
Ferar Beach, Ross Island, Andaman Sea, Bay of Bengal, Indian Ocean
Linked to: NF Waters#55
This post is dedicated to my blogger friend Jay, who wished to watch some beach beauties here!
Thank you Jay:) for your expectations...hope I come up to them:)
This is a virgin beach, not even a tourist comes to this obscure place.
This beauty may not be 36-24-36, but it is 360 degrees view/24 degree C temp/3600 awesome trees:):D
Wednesday, 12 December 2012
Baywatch-9
Ruins at Ross Island, Andaman Sea, Bay of Bengal, Indian Ocean
This post is dedicated to blogger friend Kirti who wanted to see some ruins here!
Thank you Kirti for your demand:)
Tuesday, 11 December 2012
Baywatch-8
Port Blair, Andaman Sea, Bay of Bengal, Indian Ocean
This post is dedicated to blogger friend Latha who found one photo a day was not enough:)
Thank you Latha for inspiring me to post more pics a post!
Monday, 10 December 2012
Friday, 7 December 2012
शरारा...
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Thursday, 6 December 2012
Baywatch-1
Coral Reefs, Jolly Buoy Island, Andaman Sea, Bay of Bengal, Indian Ocean
Linked to Nature Notes / NF Waters 49
...going for snorkeling!
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...going for snorkeling!
Friday, 23 November 2012
सदमा...
कहाँ गए वो पल जो बेताबी से
हमने साथ बिताए थे,
अब तो बस मायूसियों के
लम्बाते हुए साए हैं।
सब काट ही लेते हैं दिन
शाम की उम्मीदों में,
हमारे हिस्से तो रातों को भी
बस सिर्फ़ फ़ाके आये हैं।
रोज़ नया ग़म देती है
तोहफ़े में ज़िन्दगी,
अभी तो हम पुराने
सदमों से उबर न पाए हैं।
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Monday, 19 November 2012
रेलगाड़ी
एक ट्रेन हूँ मैं,
बस चलती जाती .
स्टेशनों पे रूकती,
जंगल में खड़ी होती,
कभी रोक दी जाती .
या, एक स्टेशन हूँ मैं,
अपनी जगह स्थिर .
देखता रहता आती-जाती गाड़ियाँ,
मर्द-औरत, काले-गोरे, अमीर - ग़रीब,
बेशुमार मुसाफ़िर .
नहीं, चाय -कॉफ़ी वैंडर हूँ मैं,
पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण
गर्मी - सर्दी - बरसात
यहाँ से वहाँ, वहाँ से यहाँ:
Friday, 16 November 2012
पटरियाँ
हम सब रेल की पटरियाँ:
दौड़ते समानान्तर
मीलों - मील ज़िन्दगी भर ;
मिलते हैं बस कुछ पल
फिर से बिछुड़ जाने को
Tuesday, 13 November 2012
सुबह-2
किसी परिपक्व, सुशीला,
प्रेमिल, मजबूर माँ की तरह
एक खीज भरी, फीकी,
सतही, निस्तेज मुस्कराहट के साथ,
जिसमें साफ़ झलकती है
उसकी असहमति, विरोध और पीड़ा,
प्रकृति देती है
ताज़ी हवा के कुछ झोंके
जंगलों, पहाड़ों, खेतोँ और बाग़ानों से
कहते हुए जैसे
कि माफ़ तो कर नहीं सकती
साफ़ दिल से
जघन्य पापों को हमारे;
पर मरने भी नहीं दे सकती
आतंकी, आततायी, अपराधी
बेटों को अपने!
सुबह-1
रात भर के शोरीले ताण्डव
के परिप्रेक्ष्य में और भी वीरान लगती है
दीवाली से अगले दिन की सुबह।
धुएँ और कुहासे की
मोटी चादर ओढ़े
ख़ामोश, लाचार देखती
जैसे बीत गए
बलात्कार के निशान।
बेशुमार आतिशबाज़ी से पैदा
बेहिसाब चिन्दियाँ कागज़ की
राख, डंडियाँ, खोल, रैपर्स, प्लास्टिक
चारों ओर बर्बादी का मंजर :
बेख़बर सोये बेशर्म, उद्दण्ड व्यभिचारी !
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