Dr.
Ved Prakash ‘Vatuk’, D.Litt.(Harvard University);
Ex Secretary Hindi Parishad, London; Ex Director Folklore Institute, Berkeley,
says in his foreword:
Quote:
“...प्रेम
कविताओं का केंद्र-बिंदु 'मैं' नहीं, 'तुम' अधिक है। 'मिलन' से अधिक 'विरह'- जनित स्मृतियों का स्वप्न
संसार विशद रूप से चित्रित हुआ है। इन कविताओं
में एक विशिष्ट प्रकार का आकर्षण है, जिजीविषा भी। वहाँ अपने 'क़ातिल' को भी 'ख़ुदा' मानने का आग्रह
है, मधुर-स्मृतियों की चिर कोपलें हैं- हृदयस्थ।
समर्पण की भावना में सागर में सरिता की तरह प्रेम में डूब जाना। इंतज़ार का मीठा दर्द, हार में भी शहन्शाह होने का
अहसास। इस बगीचे के फूलों में सुगन्धि भी है,
सुवास भी और चिरन्तन साथ देने वाले काँटों का अहसास भी। इस खण्ड की विविधता आशान्वित करती है कि अभी कवि
के पास बहुत कुछ और भी है कहने को...
कृतज्ञ
हूँ कि अमित ने मुझे अपनी काव्य-सुरसरि में डुबकी लगाने का आनन्द दिया और आश्वस्त हूँ
कि अभी वे बहुत दूर जायेंगे अपनी काव्य-यात्रा में, अनेक, भिन्न पड़ावों को पार करते
हुए...”
Quick links:
1. Amazon India: http://www.amazon.in/Chitakte-Kaanchghar-Hindi-Amit-Agarwal/dp/9381696705/ref=sr_1_1?ie=UTF8&qid=1432970214&sr=8-1&keywords=9789381696705
Congratulations Amitji for the good review.
ReplyDeleteThank you Somali:)
DeleteCongratulations... :-)
ReplyDeleteThank you Maniparna:)
Deletefabulous! :)
ReplyDeleteThank you Archana:)
DeleteCongratulations Amit Ji
ReplyDeleteThank you Alok:)
DeleteI agree. I am reading your anthology. There is an unexpected and generous measure of strength and beauty in the lines created by you. Many a times I am reminded of Gulzar Sahab and the inimitable Ruskin. More later...
ReplyDeleteI am humbled! Thank you Geetashree:)
Deletegreat review ---so befitting to your writings .Congratulations Amit ji
ReplyDeleteThank you Rajni:)
DeleteAmazing...really feels great when your words are able to strike the chords….Many more to come for sure
ReplyDeleteThank you Manish:)
DeleteAdding my wishes for a long poetic journey.
ReplyDeleteThank you Suresh:)
DeleteReally amazing great one......
ReplyDeleteThank you:)
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