ड्रॉअर में बस
यूँ ही पड़ी
सस्ती शराब की
बोतल हूँ
'बार' में सजा
क़ीमती स्कॉच
का ख़ाली डिब्बा
नहीं!
चाहें तो पियें
और मस्त हो
जाएँ
या फिर डिब्बों
को निहारें
मन बहलायें.
हाँ, अगर पियें
तो ज़रा संभल
कर
ज़ोर का धक्का
लगेगा,
डिब्बों से कोई
डर नहीं
सजावटी सामान है
बरसों यूँ ही
रहेगा.
सहमत !
ReplyDeleteThankyou Jog sahab:)
Deleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/09/35.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteआदरणीय अमित जी -- पहली बार आपके ब्लॉग पर आकर आप को पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा है | अलग सी भावनाओं को व्यक्त करती आप की रचना बहुत अच्छी लगी | सादर शुभकामना ------
ReplyDeleteस्वागत है आपका रेनू जी! आपकी टिपण्णी में 'अलग सी भावनाओं को व्यक्त करती' पढ़ कर आनन्दित हूँ..अगर अलग सी भावनाओं को पढ़ने में रुचि रखती हैं तो मेरे ब्लॉग पर इसी वर्ष जनवरी से अप्रैल की रचनाएँ पढ़ने का समय निकाल पायें तो मुझे बेहद ख़ुशी होगी. आप जैसे सुधी पाठक ही मुझे कुछ नया प्रकाशित कर पाने का (लिखता तो मैं बहुत कुछ हूँ ) साहस देते हैं. प्रोत्साहन के लिए अनेक धन्यवाद... आती रहिएगा..सादर..
Deleteरचना पसंद करने और 'मित्र-मंडली' पर लिंक करने के लिए अनेक धन्यवाद, राकेश जी! आभार:)
ReplyDeleteबहुत गूढ़ता से भरी सुन्दर रचना जो अपने घरेलु और बाज़ारू रिश्ते अथवा वस्तु की भिन्नता का यथार्थ बयां करती है।
ReplyDeleteआपने लम्बा समय लिया है नई हिंदी रचना पाठकों के समक्ष लाने में।
बधाई एवं शुभकामनाऐं।
Ye rachna pasand karne, aur mujhe parhne ki ichchha rakhne ke liye anek dhanywaad, Yadav ji:) Abhibhoot hoon..
Delete*mere blog par aapki upastithi se abhibhoot hoon!
Deleteडिब्बों से कोई डर नहीं
ReplyDeleteसजावटी सामान है
बरसों यूँ ही रहेगा.
बहुत गहरे शब्द लिखे हैं आपने अमित जी !!
Pasand karne ke liye shukriya Yogendra bhai:)
DeleteLike yogiji says "Its very deep' that much one could understand but not fully-Could you enlighten on the connect between the first two lines ans the last lines..?
ReplyDeleteThank you for your interest Rajeev, I'll explain to YOU since it's in Hindi..See it's like this: The bottle is lying somewhere unnoticed but it is filled with (even if cheap) liquor, it will be emptied one day and thrown away, the same will however delight some in the process. On the other hand the boxes sitting on the shelves of a bar, held expensive contents in the past but are empty at the moment and serve as decoration only..Those will remain there like this for years at end without 'giving' away anything..
DeleteThank you so much for the clarification Amit!
Deletebahut hi sundar.
ReplyDeleteThank you Jyotirmoy:) Glad you liked:)
DeleteThat's why, all 'khali dabbas' are happy nowadays. But, then empty vessels always seemed merrier making much noise.:) Nice!
ReplyDeleteGlad you liked ma'am☺ Thank you💐
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteGlad you liked Rajeev, thank you ☺
DeleteNever underestimate the worth of alcohol- irrespective of whether pricey or less expensive coz it has its own charm & is capable of causing harm :)
ReplyDeleteWaah kyaa baat hai doctor sahiba😊☺👍👌
Deleteबहुत सच लिखा है ...
ReplyDeleteGlad you liked, Digamber sir, thank you:)
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