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Sunday, 4 February 2018

शैतान

Image from Google

कुछ सहस्राब्दियों बाद
शैतान को फिर से 
ख़ुराफ़ात सूझी
लेकिन वो जानता था
कि आदम और हौव्वा 
अब भोले नहीं रहे
जो साँप और सेब  के
चक्कर में जाएँ.

वो ख़ुद भी 
शातिर हो चला था
समय के साथ
सो अबकी उसने सोचा
कि 'अक़्ल' तो
अभिशाप कम 
वरदान ज़्यादा
सिद्ध हुई कालान्तर में ;
क्यों इन्सान की
इसी अक़्ल से
एक ऐसा तोहफ़ा
बनवाया जाए
जो साबित हो सके उसका
स्थाई चिरंतन नाश!

इस बार
वो कोई चांस नहीं
लेना चाहता था
सो उसने
ख़ूब सोच समझ कर
प्लास्टिक पैदा कर दिया
और लगा इंतज़ार करने
अपनी योजना के
परवान चढ़ने का
कुटिल मुस्कान के साथ.

बस फिर कुछ ही दशकों में
शनैः शनैः
उसके ज़हरीले दाँत
काले कुरूप होठों से
निकल कर दिखने लगे
मुस्कुराहट फैलती गई...

डेढ़ सदी ख़त्म होते होते
धरती बंजर होने लगी
हवा विषाक्त
समुद्रों, नदियों, झीलों, झरनों
के दम घुटने लगे
मछली, चिड़ियाँ, पशु
बेहिसाब मरने लगे
और अक़्लमंद इंसान
हाँफ़ते खाँसते
सिसकते बिलखते
धरती पर से
समस्त जीवन लुप्त होना
देखता रह गया...

शैतान अट्टहास कर उठा !!




42 comments:

  1. आपने बहुत ही अच्छा लेख लिखा है। छत्‍तीसगढ़ी समाचार और daily news पढ़ने के लिए इस वेबसाइट को देखें। Latest News by Yuva Press India

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  2. My hindi is not very good, But I did like reading it all .. Good one :)

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    1. Thank you dear sir, I'm honored!
      मेरी रचना पढ़ कर और पसंद करके आपने मेरा मान बढ़ाया है, मान साहब:):)

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  3. अमित जी प्लास्टिक की समस्या को शैतान के माध्यम से बहुत ही खूबसूरती से पेश किया हैं आपने।

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    1. रचना पसंद करने के लिए घन्यवाद ज्योति जी!

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  4. Waa sir.... Kya khub bayaan kiya hai!!! Great!

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  5. Very nice! The new deadly weapon of Shaitan- Plastic!

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  6. Replies
    1. धन्यवाद कविता जी..

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  7. सच प्लास्टिक अभिशाप है...
    एक शैतानी रूप है ..
    जागरूक प्रस्तुति

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    1. मेरे विचार की पुष्टि करने के लिए धन्यवाद कविता जी!

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  8. बहुत बढिया....
    प्लास्टिक को शैतान के रूप में रखा .....वाकई विनाशकारी है ये....
    बहुत सुन्दर...

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    1. विचार की सम्पुष्टि और मेरी रचना पसंद करने के लिए धन्यवाद सुधा जी!

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  9. This comment has been removed by the author.

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  10. "पाँच लिंकों का आनंद" में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद यादव जी!
    अनुग्रहीत हूँ:)

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  11. बहुत ही उम्दा तरीके से कविता को प्रस्तुत किया.
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    1. स्वागत है आपका साधना जी, प्रस्तुति पसंद करने के लिए धन्यवाद☺

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  12. ख़ूब सोच समझ कर
    प्लास्टिक पैदा कर दिया
    और लगा इंतज़ार करने
    अपनी योजना के
    परवान चढ़ने का
    कुटिल मुस्कान के साथ.
    पर्यावरण को बचाने की लाख कोशिशें जारी हैं लेकिन परिणाम निल बट्टे सन्नाटा !! गंभीर विषय पर गंभीर लेखन अमित जी !! साधुवाद

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    1. अफसोस इस बात का है योगेन्द्र भाई जी कि परिणाम अपने यहाँ निल बटे सन्नाटा ही रहेंगे हमेशा..बहरहाल, रचना पसन्द करने के लिए धन्यवाद:)

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  13. आपके इस लेख में मुझे बेहद आकर्षित किया है इतना गंभीर और सोचने लायक मुद्दा आपने कितने खूबसूरत शब्दों में बयां किया है, ऐसे विचारों
    की मैं कद्र करता हूं

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