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Friday, 23 January 2015

Capturing Time..?





                                                 Linked to: The Weekend in Black and White

इंतज़ार


कट रही है ज़िन्दगी
इंतज़ार में
हमारी तुम्हारे
तुम्हारी हमारे !

उदास धुन


ख़ामोश  सर्द  शाम
गूँजती रही उदास धुन जैसी
देर रात तक
याद तुम्हारी आती ही रही
अलस्सुबह तलक
और फिर एक और
बेमानी दिन शुरू हो गया.


दरिया-आकाश


तुम ढूँढती हो मुझमें सारा आकाश
और पाती हो बस कुछ साँस,
मैं चाहता हूँ तुमसे बस इक क़तरा
और पा लेता हूँ पूरा दरिया.


लकीरें


क़िस्मत  ' दौलत की तो थीं ही नहीं,

मेरे हाथों की हदों ने थाम लीं वर्ना

जाने कहाँ तक जातीं ये ग़म की लकीरें।