फेंका नहीं जा सकता
बेचा भी नहीं,
ना दान दिया जा सकता
हूँ
और उपहार में तो
बिल्कुल ही नहीं.
सजता था कभी
सजाता भी,
क़ीमती हुआ करता था
और उपयोगी भी.
पुराने फ़ैशन का
शानदार फ़र्नीचर हूँ
मैं,
नये चलन के इस दौर से
मेल नहीं खाता.
...पर मेरे जैसे अब
बनते भी कहाँ हैं!