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Wednesday, 10 July 2013

दुआ

हे मेरे भगवान् 
कैसा किया इस साल 
तुमने ये काम...

हमें तो मार डाला गर्मी में 
और पहाड़ों पर 
मचाया कोहराम

बारिश आती नहीं,
दुआ भी की जाती नहीं 

डर लगता है 
कि जो बूँदें 
मुझे जिलायेंगी 
उन्हें कितना और सतायेंगी 
जो रहते हैं 
मुझसे कुछ मोड़ दूर 
उन ख़ूबसूरत पहाड़ों पर 

जाने दो 
मैं सह लूँगा गर्मी का दर्द 
पर वहाँ मत करना और उपद्रव !

Translation:
Oh my God
what kind of benevolence
this year You showed!

We are dying in
heat sweltering
and Your game
in mountains is devastating...

Rain it doesn’t
and even pray I can’t (for it)

Afraid that the drops
cool me which
will give them despair
who live just a few turns away
in those beautiful mountains 

Forget it hence
scorching heat shall I bear
but kindly
no more destruction there!