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Sunday, 22 September 2019
Wednesday, 31 October 2018
Dodo
Water
water everywhere
Not
a drop on its wing
Golden
dodo soars high
In
dark gray sky
Worry
not give time
Damp
patch to dry
On
the ceiling
And
on the lung
May
it sound funny, honey
But
what really matters
Is
money
Image from Google
Linked to: Poets United: Money
Friday, 15 September 2017
क़ीमती
ड्रॉअर में बस
यूँ ही पड़ी
सस्ती शराब की
बोतल हूँ
'बार' में सजा
क़ीमती स्कॉच
का ख़ाली डिब्बा
नहीं!
चाहें तो पियें
और मस्त हो
जाएँ
या फिर डिब्बों
को निहारें
मन बहलायें.
हाँ, अगर पियें
तो ज़रा संभल
कर
ज़ोर का धक्का
लगेगा,
डिब्बों से कोई
डर नहीं
सजावटी सामान है
बरसों यूँ ही
रहेगा.
Sunday, 9 April 2017
नज़ारा..
Image from Google
हँसता हुआ गधा
दिख जाता है
मुझे अक्सर
प्राधिकरण के दफ़्तर
में
कचहरी में, सरकारी
गलियारों में..
लदड़-फ़दड़ कछुआ
फाइलों का बोझ
ढोता
मालिकों-अधिकारियों के
जूते खाता ; चलता जाता.
निढाल हिरन उदास
सूखी-पीली घास
के पास
चतुर लोमड़ सलाम
बजाता
ख़ूनी भेड़िया आँखें झपकाता
साँडों, भैंसों के रेवड़
कीचड़ में धँसे
निकलने की कोशिशों
में
और फँसे और
फँसे
इन सब से
उदासीन
अँधेरे में पड़ा
ख़ामोश
अजगर एक साँस
खींचता
पल भर में
सब को लीलता
!
Labels:
hindi kavita,
hindi poetry,
kavita,
nai kavita,
philosophy,
poem,
poetry,
sarcasm,
satire
Wednesday, 18 January 2017
समूह
तमाम कोशिशों के बावजूद
बलिष्ठ केकड़ों की
फ़ौलादी जकड़ से
जब मैं
निकल न पाया
तो मैंने इन्तज़ार किया,
और एक-दूसरे को खा-खा कर
जब वो इतने मोटे
हो गए
की टोकरे में न
समाएं
तो एक दिन
मैं बस
चुपचाप
फिसल कर निकल
गया.
भागने की जुगत
में
मुझे न चाहते
भी
भेड़ों के एक
रेवड़ में
शामिल होना पड़ा...
कोई बात नहीं,
मजबूरी!
थोड़ी दूर चलकर
मुझे ताज्जुब हुआ
ये देख कर
कि इतने अनुशासित
रेवड़ की
सारी भेड़ें नितान्त अन्धी
थीं ;
लेकिन मैं जैसे
बेमौत मरा ये
जान कर
कि सबसे आगे
चलने वाले
उनके नेता ने
काला चश्मा भी पहना
हुआ था!
Both images from Google
Sunday, 15 January 2017
चित्रकार..!
गधे रेस खेलते
नहीं केवल
बल्कि जीतते
भी
,
घोड़े अस्तबलों में क़ैद
बेचैन कसमसाते
हैं .
क़लम पकड़ने की तमीज़
नहीं
तूलिका थाम कर
बेशर्म
बेहूदा फ़ोटो खिंचवाते
बे सलीक़ा रंग
लगाते ...
गधे थोड़ा और
तनते
घोड़े शर्मिंदा हो जाते
हैं.
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