Followers

Monday, 30 April 2012

मसूरी मेरी जान (Part-3)...

Day-3...अलविदा...












ताज़ी-ठंडी-ताज़ी हवा
खामोशी,तन्हाई,सन्नाटा
नीला मीलों आकाश
गुनगुनाती धूप
खूबसूरत मोहक रंगीन हरे पेड़!
इन सबके बीच अकेला मैं...
कल सब खो जाएगा
अपने शहर के कोलाहल
और ज़िन्दगी की आपाधापी में.
मैं भी!!



















रोमांचित करता
गिरता पानी.
ठहरा पानी
करता स्थिर .














चीड़ के पेड़
साधना में तल्लीन
साधुवेश
शांत विचारहीन
चलें जब हवाएं
तो जैसे
उड़ते उनके केश.


















अलविदा मसूरी!
मुलाक़ात बड़ी प्यारी थी
और बहुत छोटी भी.
बुलातीं
बड़े अर्से बाद
हो मगरूर बहुत
मरता हूँ फिर भी
तुमसे है मुहब्बत.
आऊंगा दीवानावार बदस्तूर
याद करोगी जब भी
अपने आशिक़ को
रहता है तुमसे जो
फ़क्त चन्द घंटे दूर!

Friday, 27 April 2012

मसूरी मेरी जान(Part-2)

Day-2...मुलाक़ात...












सुबह-सुबह...

रास्ते का शहर देहरादून
अनगिनत लोग
बेहिसाब वाहन
शोर-ट्रैफ़िक-गर्मी.
यहाँ से दीखता है
एक गाँव खिलौनों का
दिन में
और
रौशन तिलिस्म
रात को!
क्या समस्याओं को
दूर से देख पाना
एक तरीक़ा है
उन्हें बर्दाश्त करने का?












दिन-बाज़ार ...

शोख़ लड़कियाँ
घमंडी लड़के
आलिंगनबद्ध उन्मुक्त.
वृद्ध पुरुष
मोटी स्त्रियाँ
गर्म कपड़े,असहाय,ठिठकते.
छोटे बच्चे
ललचाई आँखें निहारें दुकानें
थके पैर बेचारे!














शाम-रात ...

रौशन बाज़ार
चमकती इमारतें
चकाचौंध दूकानें.
नीचे दूर
घाटी का शहर दून
जगमगाता
झिलमिलाता.
ऊपर खुला आसमाँ
तारे टिमटिमाएं
चाँद मुस्कुराए.
इन सबके बीच
दिल अँधेरा,उदास,वीरान बेचारा
क्या करे कहाँ जाए!



Wednesday, 25 April 2012

मसूरी मेरी जान (Part 1)

Day-1 स्वागत...











बलखाती सड़क
लेटी हरी घास में
काली नागिन
ख़ामोश!












अनंत विस्तार
स्थिर
मौन
नीरव
अपलक सन्नाटा.
कुछ ही पलों में
हो जाता हूँ
भारहीन
तरल
खोखला
अस्तित्वहीन.
चेतना वापस लाती है
कोई गतिमान तितली
या नन्ही पहाड़ी चिड़िया.
कितनी है सहज
समाधि यहाँ!














देवदार
ऊंचे गंभीर
असम्प्रक्त मौन
सदियों से ज्यों
योगी
समाधिस्थ!

Thursday, 19 April 2012

(...और अंत में ) ईश्वर के नाम...

ऐ मेरे ख़ुदा
बस थोड़ी सी और
मोहलत दे दे

डरता नहीं हूँ मौत से
औ' डूब जाना चाहता हूँ
तेरी रहमत की
ख़ामोश, पुरसुकून पनाहों
में सदा के लिए

बस कुछ देर और
इस बेमुरौव्वत दुनिया का
'मज़ा' लेने दे
ताकि फिर वापस
यहाँ आने का
दिल ही न करे!


Translation:


(...and at last) To God!

O lord
Please give me some more(life)
I’m not afraid of death
and wish to sleep eternally
in your comforting arms,

but just a few days more
let me ‘enjoy’
this trying world
so that
I don’t feel like coming here again!

'उनके' नाम...

रोज़ कह देते हैं आप
आज नहीं कल परसों
बहानेबाज़ी की भी हद्द होती है

और न बढ़ाइए
वादे की तारीख़
बस मेरे इंतज़ार की
अब इंतिहा होती है.


Translation:

To ‘Her’

Everyday you postpone it to
the next day or thereafter
on some pretext or the other,
there should be limits to an excuse.

Please don’t extend the date
of your promise
my patience now comes to its edge!

Wednesday, 18 April 2012

दुश्मनों के नाम...

अरे जाओ कहीं और
आज़माओ अपने ज़ोर
भोथरी हैं संगीनें तुम्हारी
और बेदम गोलियां
क्या बिगाड़ेंगी भला
इस चट्टानी सीने का
फ़ौलाद बना दिया जिसको
दोस्तों की मेहरबानिओं
ज़माने के ज़ुल्मों, रकीबों के मखौल औ'
हसीं सितम ने 'उनके'.


Translation:

To Enemies...

Just go somewhere else
to test your strength
blunt are your bayonets
and dummy bullets,
what harm can they cause
to a rock like heart
further toughened
by the cordiality of friends
atrocities of society
ridicule of rivals(in love)
and ‘her’ charming mayhem!

Tuesday, 17 April 2012

प्यारे हमदर्दों के नाम...

क्यों चाहते हो मशविरा मुझसे
अपनी परेशानियों के सबब पे
क्या जानते नहीं कि ख़ुद
एक पेचीदा मसअला हूँ मैं.


Translation:

To Loved Well wishers...

Why do you seek
to consult me
on your problems..
Don’t you realize
that I myself am
an obscure crisis?

Monday, 16 April 2012

आलोचकों के नाम...

चलाओ कुल्हाड़े अपने
बुलंद तने पे मेरे
देखें तो सही
कितनी धार है उनमें.

पर मेरी नर्म कोपलों
को मत मसलो
वो अभी कच्ची हैं
बिलकुल मासूम बच्ची हैं.

ग़र सींचोगे जड़ों को मेरी
तेज़ाब से रोज़-रोज़
तो क्या सचमुच
फ़तह तुम्हारी होगी?


Translation:

To Critics...

Blow your axe
on my sturdy trunk
let’s see how sharp
those are.

But kindly don’t crush
my sprouts
these are so young
and delicate.

If you irrigate me
with acid routinely
do you think
your victory will be ethical?

Saturday, 14 April 2012

भाइयों के नाम..

मैं सीखा किया मुक्केबाज़ी
लड़कपन से,
मुझे क्या पता था
वो बंदूकें ले के आयेंगे.


Translation:

To Brothers...

I (we) used to practice
boxing as a sport
since boyhood,
I never expected
them to come
armed with guns!