Friday 29 December 2017

Christmas in monochrome

A street and a house in Hallstatt, Austria


Both images by: Atisi Amit



Zapped

...by the beauty of nature


Both pictures by: Atisi Amit
Linked to: ABC Wednesday: Z is for Zap



Tuesday 26 December 2017

Yesternight

...in Hallstatt, Austria






All pictures by: Atisi Amit
Linked to: ABC Wednesday : Y is for Yesternight







Thursday 2 November 2017

दीवाली बाज़ार

मैं बाज़ार नहीं जाता-
बाज़ार नहीं जा पाता
दीवाली के हफ़्ते.

खाने-पीने की दुकानों के बाहर
ललचाई आँखों से ताकते
भूखे बच्चे, सूखी गर्भवती स्त्रियाँ
हाँफते-खाँसते आदमी
मेरा ज़ायक़ा
कसैला कर जाते हैं
मिठाई की किसे पड़ी?

लग्ज़री कारों
में चलने वाले
फूल बेचते लाचार-निरीह बच्चों से
जब करते सौदेबाज़ी
तो मुझे, उनकी क्या कहूँ,
धन से ही होने लगती है
विरक्ति सी

अपने हर्षोल्लास के बीच
बेशक़ीमती गहनों, कपड़ों में सजे
दर्प-अभिमान से दमकते चेहरों
महँगे इत्रों से गमकते शरीरों
के भीतर झाँका कभी?
वहाँ कोई आत्मा निवास करती है?

छोटी सी ठेली या टोकरे में
फल, सब्ज़ी,गुब्बारे,दिये, कंदील, रुई
बेचने वालों की
उदास, बुझी आँखों की तरफ़
देखने की फुर्सत हुई कभी?

चहुँ ओर की चकाचौंध जगमगाहट
भक्क से सूनी मायूसी में बदल जाती है,
इस सारे उपद्रव का कोई
प्रयोजन ही नहीं लगता फिर.

करोड़ों की अट्टालिकाओं में
रहने वाले
लाखों रुपये हँसते-हँसते
'तीन पत्तीमें उड़ाने वाले
काश कुछ पत्ते
इन मुफ़लिसों के
(ताश के) घरों में भी जोड़ते!


Monday 9 October 2017

काई

लो आज फिर  घटा घिर आई
टीस कोई भूली फिर से उठ आई

दिन महीने साल यूँ ही भाग रहे हैं
ज़िन्दग़ी किसी मोड़ पे ठिठकी सी नज़र आई

आमों के दरख़्त तो अब वीरान पड़े हैं
कोयल मुझे इक दिन कीकर पे नज़र आई

नग़मे प्यार के  सब भूल चुके हैं
उजड़ी हुई कहानी याद मगर फिर आई

मेड़ों उगी दूब भी अब सूख चली है
दिल की बावड़ी में बस काई ही काई!


(Image from Google)


Friday 15 September 2017

क़ीमती

ड्रॉअर में बस यूँ ही पड़ी
सस्ती शराब की बोतल हूँ
'बार' में सजा क़ीमती स्कॉच
का ख़ाली डिब्बा नहीं!

चाहें तो पियें
और मस्त हो जाएँ
या फिर डिब्बों को निहारें
मन बहलायें.

हाँ, अगर पियें
तो ज़रा संभल कर
ज़ोर का धक्का लगेगा,

डिब्बों से कोई डर नहीं
सजावटी सामान है
बरसों यूँ ही रहेगा.


Wednesday 13 September 2017

Perennial

Will the Ganga defile
If I end
My life in it
To reunite with Thee?

Why no my soul
Is too pure
To pollute it
For the moments it remains
In there..

And the biodegradable body
Will satiate the fish
Within couple of hours.

Ah but for the stent
In my heart
And the ache!
(Image from Google)


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Wednesday 6 September 2017

Wednesday 26 April 2017

लेस्बियन्स

                                                                     


कोमलांगी सुरमई शाम को
कामुक सलेटी रात ने
अंक में भरना
चाहा ही था
कि दोनों का सखा
गोरा-चिट्टा चाँद
मुस्कुरा उठा
और शरारत से बोला
लो मैं गया
तुम दोनों को
ख़ुश  करने के लिए.

जल कर काली हुई रात
फुंकार कर बोली
हम हैं मुक्त
किसी की अधीन नहीं
ख़ुद अपने में पूर्ण
हमें तुम्हारी ज़रूरत नहीं..

फिर  उसने अपने
जलते हुए होंठ
क़मसिन शाम के
प्यासे होठों पर रख दिए :
'छुन्न' का शब्द हुआ
और आहत चाँद कुएँ  में जा गिरा!
                                                           
Both images from Google



Monday 17 April 2017

उम्मीद

                                                           
Image from Google

उम्र अड़सठ  वर्ष
ख़ुद की मोटी पेन्शन भी,
उसके कमाऊ बेटों ने
उसे पेसमेकर लगवाया
दस साल चलने वाला
पच्चीस  साल वाला  नहीं,
जाने क्या सोच कर..
पैसों की तो कोई
कमी    थी!

Sunday 9 April 2017

नज़ारा..

                                         
Image from Google
                                   
हँसता हुआ गधा
दिख जाता है मुझे अक्सर
प्राधिकरण के दफ़्तर में
कचहरी में, सरकारी गलियारों में..

लदड़-फ़दड़ कछुआ
फाइलों का बोझ ढोता
मालिकों-अधिकारियों के
जूते खाता ; चलता जाता.

निढाल हिरन उदास
सूखी-पीली घास के पास
चतुर लोमड़ सलाम बजाता
ख़ूनी भेड़िया आँखें झपकाता

साँडों, भैंसों के रेवड़
कीचड़ में धँसे
निकलने की कोशिशों में
और फँसे और फँसे

इन सब से उदासीन
अँधेरे में पड़ा ख़ामोश
अजगर एक साँस खींचता
पल भर में सब को लीलता !

Tuesday 28 March 2017

Lennon - John

Beatles Ashram, Rishikesh, India-3










L is for Lennon: John Lennon
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Also enjoy Part1 / Part2






Tuesday 7 March 2017

वो सुरमई शाम

                                                               
Image from Google

बुना जब  करते
फन्दा-दर-फन्दा
अँधेरा-उजाला
ख़ुद  आप को

पहरे पे ख़ामोशी ,
आग़ोश  में
क़ैद हुआ करती -
क़ायनात  सारी

वो सुरमई शाम
आँखें, शोख़ आँखों से
बयाँ  करतीं
कितने  अफ़्साने

चार होंठ प्यासे
नामुराद - झूठे, बेशर्म ,
नदीदे , कमज़र्फ
पी पी के मुकर जाते

ज़िद्दी ज़ुल्फ़  मग़रूर -
शरीर, शैतान,
बीच में आती
करती परेशान

दहकते अरमान
सर्द आहें
महकते साँस
बेचैन निगाहें

वो सुरमई शाम
फिर कभी आयेगी?
________________________________________________
Key:
फन्दा-दर-फन्दा = stitch by stitch 
आग़ोश = embrace
क़ायनात = universe
अफ़्साने   =   romance
नामुराद = dissatisfied
नदीदे  =  greedy
कमज़र्फ  =  ungrateful
मुकर = deny
मग़रूर = arrogant
शरीर = wicked
_____________________________________________

भरसक कोशिश करता हूँ कि दैहिक लिखूँ लेकिन कभी-कभी क़लम फिसल ही जाती है कमबख़्त ...
यथासम्भव प्रयास रहता है कि लिखा हुआ बस मेरा ही रह जाये पर कभी बिना प्रकाशित किये लगता है कि अधूरा रह गया..
'वो रुपहली साँझ आये'  एक पारलौकिक,  रूहानी, लगभग आध्यात्मिक रचना है,  और 'सुरमई शाम' पूर्णतयाः जिस्मानी, ऐन्द्रिय, विषयासक्त ; लेकिन मुझे लगता है कि क्योंकि रूह का अहसास  जिस्म के माध्यम से ही होता है  इसलिये  सर्वथा भिन्न होते हुए भी दोनों एक दूसरी की पूरक हैं.
बाक़ी पाठकों पर छोड़ता हूँ..
'रुपहली साँझ' ने भूली हुई 'सुरमई शाम' याद दिलाई इसलिये ये पोस्ट  सुश्री कोकिला गुप्ता जी   को सादर समर्पित!

Tuesday 28 February 2017

Harrison - George

Beatles Ashram, Rishikesh, India - 2







H is for Harrison: George Harrison
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Also enjoy Part 1






Tuesday 21 February 2017

Graffiti

Beatles Ashram at Rishikesh in the Himalayas

(Erstwhile 84 Kutiya or the Ashram of Maharishi Mahesh Yogi)












G is for Graffiti
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(Note: The Beatles had come here in 1968 to learn Transcendental Meditation from the Yogi.
During their stay here they wrote many famous songs which featured in the White Album and 
Abbey Road)