Safarnaamaa... सफ़रनामा...
Wednesday, 30 September 2015
पागल
खोजता रहा
दिन रात पागल
सुक़ून कहाँ
शोला
इक शोला सा
लपके है दिल में
किसी याद से
Monday, 21 September 2015
ख़लिश
कोई ख़लिश
दिल के दरमियाँ
जागती - सोती
Sunday, 13 September 2015
चुभन
उफ़.. फिर से
जाग उठी चुभन
दबाई तो थी
Thursday, 10 September 2015
मौसम
क्यों
छाये
हैं
ये
बादल
से
हमारे
बीच
क्यों
रह
-
रह
के
फुहार
सी
आती
हो
...
जम
कर
ही
बरस
जाओ
इस
से
तो
इक
बार
और
बस
फिर
खुल
जाए
मौसम
!
Tuesday, 8 September 2015
छलिया
आँखें
मिला के
कितना
तू
छलता
दिल
हरता
Monday, 7 September 2015
मीरा
प्रियतम्
मेरे
मीरा
सदा
रही
मैं
राधा
बना
लो
Friday, 4 September 2015
मेरा साया
या
तो
बीच
-
दुपहरी
है
रौशनी
तेरे
तसव्वुर
की
,
या
फिर
रात
-
अमावस
सियाही
तेरी
चाहत
की
,
जो
भी
हो
बिलकुल
तनहा
हूँ
मैं
मेरा
साया
भी
मेरे
साथ
नहीं
...!
Wednesday, 2 September 2015
तोहफ़ा
ज़ख़्म
हरा
भी
है
और
गहरा
भी
दिया
तो
था
तुमने
पर
है
सिर्फ़
मेरा
ही
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