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Thursday 2 November 2017

दीवाली बाज़ार

मैं बाज़ार नहीं जाता-
बाज़ार नहीं जा पाता
दीवाली के हफ़्ते.

खाने-पीने की दुकानों के बाहर
ललचाई आँखों से ताकते
भूखे बच्चे, सूखी गर्भवती स्त्रियाँ
हाँफते-खाँसते आदमी
मेरा ज़ायक़ा
कसैला कर जाते हैं
मिठाई की किसे पड़ी?

लग्ज़री कारों
में चलने वाले
फूल बेचते लाचार-निरीह बच्चों से
जब करते सौदेबाज़ी
तो मुझे, उनकी क्या कहूँ,
धन से ही होने लगती है
विरक्ति सी

अपने हर्षोल्लास के बीच
बेशक़ीमती गहनों, कपड़ों में सजे
दर्प-अभिमान से दमकते चेहरों
महँगे इत्रों से गमकते शरीरों
के भीतर झाँका कभी?
वहाँ कोई आत्मा निवास करती है?

छोटी सी ठेली या टोकरे में
फल, सब्ज़ी,गुब्बारे,दिये, कंदील, रुई
बेचने वालों की
उदास, बुझी आँखों की तरफ़
देखने की फुर्सत हुई कभी?

चहुँ ओर की चकाचौंध जगमगाहट
भक्क से सूनी मायूसी में बदल जाती है,
इस सारे उपद्रव का कोई
प्रयोजन ही नहीं लगता फिर.

करोड़ों की अट्टालिकाओं में
रहने वाले
लाखों रुपये हँसते-हँसते
'तीन पत्तीमें उड़ाने वाले
काश कुछ पत्ते
इन मुफ़लिसों के
(ताश के) घरों में भी जोड़ते!


20 comments:

  1. Stark human reality expressed touchingly!

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  2. त्योहार दीपों का तो इसी लिए है ... एक दीपक से दूसरा और फिर तीसरा चौथा जल सके ... सब और प्रकाश हो ...
    पर आज इसको हम भूल गए ... अच्छी रचना ...

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    1. पसंद करने के लिये धन्यवाद दिगम्बर साहब:)

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  3. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/11/42.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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    1. मित्र मण्डली में मेरी रचना शामिल करने के लिये धन्यवाद राकेश जी:)

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  4. वाह, बहुत सुन्दर

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    1. पसंद करने के लिए धन्यवाद ओंकार जी:)

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  5. देने के लिए जिगर जो चाहिए होता है ..
    बहुत सुन्दर

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    1. पसंद करने के लिए धन्यवाद कविता जी:)

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  6. Replies
    1. पसंद करने के लिए धन्यवाद ध्रुव:)

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  7. Harsh reality of life Amit Ji..

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  8. पसंद करने के लिए धन्यवाद जोशी जी:)

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  9. your info is quite helpful to forever.used to really good
    Thank you dear..

    https://www.lukhidiamond.com/LOOSE-DIAMONDS

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  10. करोड़ों की अट्टालिकाओं में
    रहने वाले
    लाखों रुपये हँसते-हँसते
    'तीन पत्ती' में उड़ाने वाले
    काश कुछ पत्ते
    इन मुफ़लिसों के
    (ताश के) घरों में भी जोड़ते!
    किसको ? किसकी पड़ी है ? सब अपने आप में खुश हो जाना चाहते हैं !! बढ़िया शब्द अमित जी

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    1. Aapko rachna pasand aai bhai Yogendra ji, mujhe khushi hui:) Dhanywaad:)

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